दूर देश से उडकर आयी
मैं परियों की रानी
आओ बच्चो तुम्हें सुनाऊं
प्यारी एक कहानी
इक नन्हीं सी परी उड गयी
दूर देश के घर में
उसको वो घर अच्छा लगता
जो था दूर नगर में
बडे उमंग से उसने घर में
अपने पैर उतारे
घर में आयी परी देखकर
निहाल हो गये सारे
मगर ऐक ने कहा
काश ये बेटा होता
बेटों से ही वंश चलेगा
हमें चाहिये पोता
नन्हीं परी बेहाल हो गयी
सोचा कैसी दुनियां
बेटों से अब कैसी होगी
आधी-आधी दुनियां
नन्ही परी लगी सोचनें
कैसे मैं समझाऊं
बेटी, बेटों से बड्कर हैं
कैसे मैं बतलाऊं
बेटी का सम्मान जहां हो
वो घर चमक बिखेरे
अपमान जहां हो जाये इनका
वहां दरिद्रता घेरे
समझ गये जो वहां हो गयीं
बेटी, बेटे से बढकर
रहे नासमझ वहां चिपकते
आंसू अन्जुली भरकर.