बच्चों का आकाश

Monday, January 2, 2012

कैसे अब नव वर्ष मनाये


बड़े कड़ाके की सर्दी है
ऊपर से रिमझिम पानी,
नए वर्ष की सर्दी ने बस
याद दिलाई नानी,
सूरज दादा ठण्ड के मारे
छिप गए बादल पार ,
बिना टोप के जो भी निकला
उसको चढ़ा बुखार,
गरम चाय और गरम कचौड़ी
मम्मी आज बनाओ ,
खायेगे कम्बल में घुसकर
बिस्तर में दे जाओ,
दादा पहने बन्दर टोपी
दादी ओढ़े शाल,
फिर भी कट-कट दांत बज रहे
हाल हुआ बेहाल,
कैसे अब नव वर्ष मनाये
बाहर भीतर पानी,
पार्टी किसी और दिन होगी
बिगड़ी आज कहानी .

-कुश्वंश