सूरज दादा हैं नाराज
फैलाई धरती पर आग
बडों बडों को भी झुलसाया
हम बच्चों को भी डरवाया
आसमान से बरसे अंगारे
ताल तलैया सूखे सारे
बंद हुए हम घर के अन्दर
टीवी के बस हुए सिकन्दर
वर्षा की बूदें अब आओ
कैद से अब आजाद कराओ
मन करता है भरें फर्राटे
शैतानी में कोई न डांटे
खायें आइसक्रीम, रसगुल्ले
गरमी में अब हिप हिप हुर्रे
फैलाई धरती पर आग
बडों बडों को भी झुलसाया
हम बच्चों को भी डरवाया
आसमान से बरसे अंगारे
ताल तलैया सूखे सारे
बंद हुए हम घर के अन्दर
टीवी के बस हुए सिकन्दर
वर्षा की बूदें अब आओ
कैद से अब आजाद कराओ
मन करता है भरें फर्राटे
शैतानी में कोई न डांटे
खायें आइसक्रीम, रसगुल्ले
गरमी में अब हिप हिप हुर्रे
-कुशवंश