दीदी तुम घर मैं बैठी हो
हमको भेज रहे स्कूल
लड़का-लडकी में भेद भाव
है पापा मम्मी की भूल
तुमको पढ़ना लिखना होगा
मास्टरनी जी बन्ना होगा
बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर
मेंम साब भी लगना होगा
दीदी तुम क्यों चुप बैठी हो
अपनी बात नहीं कहती हो
पापा को समझाओ तो
अपना मन बतलाओ तो
नहीं अकेले अब जाऊंगा
दीदी साथ तुम्हे लाऊंगा .
-कुश्वंश
काश ऐसे भाई हर बहन को मिलें। आँसू आ गए इस रचना को पढ़कर।
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