कब होगी शादी,
सारे बन्दर बच्चे वाले
मेरी उम्र बची आधी,
पापा कान उमेठकर बोले
अरे निखट्टू नामाकूल,
कामधाम की बात कराकर
शादी-वादी जा तू भूल,
छीन झपट कर रोटी खाता
मेहनत से तू जान चुराता,
रोज शिकायत आती घर में
तू है नालायक पाजी,
ऐसे में कौन सा बन्दर
लडकी देने को है राजी,
नटखट तब शर्माकर बोला,
राज ह्रदय का खोला,
लोमड़ी से हुआ है लव,
वही बनेगी पत्नी अब,
पापा अब मै नहीं डरूंगा,
अंतरजातीय विवाह करूंगा,
लोमड़ी के घरवाले राजी
फिर तुमको है क्यों ऐतराज़,
बोलो हां कहते हो या फिर
लोमड़ी संग भागू मैं आज,
बन्दर बोला सुना बंदरिया
अपने बेटे के रंग ढंग,
अब तो अपनी नाक कटेगी
कैसे चले बिरादरी संग .
-कुश्वंश
बहुत प्यारी मजेदार कविता...
ReplyDeleteबच्चों को तो क्या बड़ों को भी इस बेहतरीन कविता ने आनंदित कर दिया.क्लाइमेक्स जोरदार है.
ReplyDeleteप्रिय कुश्वंश जी मजेदार-------मन खुश हो गया .
ReplyDeleteभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
bahut pyari kavita..badhai !!
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