और नहीं टाफी, बैलून
अब तो मन लगाकर पढने
दूर देश जाना "रंगून"
गुडिया- गुड्डे की शादी के
खेल से मत भरमाओ
कंप्यूटर लाकर दो मुझको
उसमे नेट लगवाओ
ट्वीटर पर मैं ट्वीट करूंगी
फेशबुक पर चैटिंग
इन्टरनेट पर मैं समझूँगी
कैसी होती नैटिंग
स्मार्टफ़ोन और टैबलेट पीसी
सब अपने औजार्
इन्टरनेट पर ही मनेंगे
अब सारे त्यौहार .
- कुशवंश
Nice post.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना :)
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हिंदी टायपिंग टूल हमेशा रखें कमेंट बॉक्स के पास
समसामयिक सी बाल रचना .....बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सटीक बात लिखी है कुश्वंश जी ! आजकल यही हो रहा है घर-घर !
ReplyDeleteयथार्थ का आईना दिखती पोस्ट अब तो यही है ज़माना सभी वार त्यौहार अब तो इंटरनेट पर ही है मानना....
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