बच्चों का आकाश

Friday, August 31, 2012

देखो खूब भिगोते बादल














देखो कैसे रोते  बादल
पानी कैसे ढोते बादल 
अगर कही बच्चे मिल जाते 
देखो खूब भिगोते बादल 

गली मोहल्ले  बिखरे बादल 
बदली  बनके निखरे बादल  
हरियाली के चादर ताने 
देखो कैसे बिफरे बादल 

सांझ अँधेरा करते बादल 
रात में खूब बरसते बादल 
छप्पर  में बस टप .टप .टप .टप 
देखो खूब टपकते बादल 

फिसले बच्चे गिरे धडाम 
कपड़ों का बस काम तमाम 
घर आँगन में फैला दलदल 
ऐसा बदला लेते बादल 

हम बच्चों से कैसी रार 
भूलो बादल अब तकरार 
आओ हमको गोद उठाओ 
टिप-टिप वाला राग सुनाओ 

-कुश्वंश 




5 comments:

  1. बहुत प्यारी कविता

    ReplyDelete
  2. nice presentation....
    Aabhar!
    Mere blog pr padhare.

    ReplyDelete
  3. हम बच्चों से कैसी रार
    भूलो बादल अब तकरार
    आओ हमको गोद उठाओ
    टिप-टिप वाला राग सुनाओ

    सुन्दर और प्रेरक बाल कविता

    ReplyDelete
  4. सरल,सहज, सुंदर!

    ReplyDelete