देखो कैसे रोते बादल
पानी कैसे ढोते बादल
अगर कही बच्चे मिल जाते
देखो खूब भिगोते बादल
गली मोहल्ले बिखरे बादल
बदली बनके निखरे बादल
हरियाली के चादर ताने
देखो कैसे बिफरे बादल
सांझ अँधेरा करते बादल
रात में खूब बरसते बादल
छप्पर में बस टप .टप .टप .टप
देखो खूब टपकते बादल
फिसले बच्चे गिरे धडाम
कपड़ों का बस काम तमाम
घर आँगन में फैला दलदल
ऐसा बदला लेते बादल
हम बच्चों से कैसी रार
भूलो बादल अब तकरार
आओ हमको गोद उठाओ
टिप-टिप वाला राग सुनाओ
-कुश्वंश
बहुत प्यारी कविता
ReplyDeletenice presentation....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
Sunder Baal Rahchna....
ReplyDeleteहम बच्चों से कैसी रार
ReplyDeleteभूलो बादल अब तकरार
आओ हमको गोद उठाओ
टिप-टिप वाला राग सुनाओ
सुन्दर और प्रेरक बाल कविता
सरल,सहज, सुंदर!
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