यहाँ वहां तितली बन उडती
मै गुडिया अलबेली,
परियों के संग आना जाना
मैं अनजान पहेली,
जिस घर में पाती हूँ प्यार
मैं उसको अपनाऊ,
वर्ना टाटा बाय बाय कर
कभी पास ना आऊँ,
मै इतनी सुन्दर दिखती हूँ
चंदा भी शर्माए,
मेरे सामने विस्वसुन्दरी
पानी भरने आये,
जो भी देखो गाल नोचता
अपना प्यार दिखता ,
मैं हंसती हूँ ऊपर ऊपर
अन्दर गुस्सा आता,
गोद मुझे मम्मी की भाये
पापा की बाहों का झूला,
पूरे घर की सैर करू तो
खाना पीना भूला,
दादी कहती सोजा बेटी
दादा कहते आजा,
भैया चिकोटी काट के कहता
और बजाओ बाजा.
मै कहती नानी घर जाऊ
नानी कहे कहानी,
नाना कहते मुझे दिखाओ
कहाँ है रोती रानी.
बहुत ही प्यारी रचना ...
ReplyDeleteगुड़िया सी प्यारी कविता...
ReplyDeleteप्यारी कविता ....
ReplyDeleteआपके ब्लॉग की बात यहाँ भी हुई ......
http://chaitanyakakona.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
सुंदर, मन भावन बाल-गीत, वाह !!!!
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी और मासूम रचना ...
ReplyDeleteवाह बहुत प्यारे भाव ...हर पढ़ने वाले के सामने मासूम कोई चेहरा जरूर आ गया होगा मेरे साथ तो ऐसा हुआ
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