कैसे सजे धजे बाराती.
प्यारी धुनें बजता बैंड,
नाच रहे गुड्डे के फ्रैंड.
जगमग जगमग जलती लाईट,
हो गयी रंग बिरंगी नाईट.
गुडिया ले आयी जैमाल,
गुड्डे जी ने किया कमाल.
पहले दे दो मोटर कार ,
तभी गले में डालू हार.
गुड्डे जी के देखे रंग,
घर वाले सब हो गए दग.
गुडिया बोली वापस जाओ,
मुझे न काला मुह दिखलाओ.
लालच का जो हुआ शिकार,
ऐसा दूल्हा है बेकार .
जिसमे पापा की बर्बादी,
नहीं चाहिए ऐसी शादी .
-कुश्वंश
सुंदर बाल रचना ...सार्थक सन्देश
ReplyDeleteवाह ...सुन्दर सन्देश देती बालकविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सन्देश देती बाल कविता...
ReplyDeleteबहुत प्यारी और सार्थक सन्देश देती बाल कविता...
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