काम न कहना
मेरा कठिन समय
सालाना इक्जाम हो रहे
सर पर सवार है भय
अंग्रेजी और मैथ की होगई
है सारी तैयारी
हिन्दी से डर लगता मुझको
रूह कांपती सारी
क्या ये है बेकार की भाषा
अक्षर औ मात्राएँ
संस्कृत के सब श्लोक और शैली
मुझको बहुत डराएँ
सीधी सी , अन्ग्रेजी भाषा
न टेढ़ी मात्राएँ
बचपन से ही जिंगल धुन
रटे और रटाये
मास्टर जी से टीचर जी की
कितनी प्यारी गरिमा
अंग्रेजी की मेंम की देखो
कैसी सुन्दर महिमा
हिन्दी वाली टीचर जी की
कैसी कठिन पढाई
उन्सठ,उनहत्तर ,उन्यासी ,नवासी
मुझ्कॊ समझ न आयी
जैसे तैसे बीत जाए सब
होजाए हम पास
हिन्दी से तौबा हो जाये
मिल जाए बस क्लास .
आज की सच्चाई, खैर, वो सफ़र ही क्या जो काँटों भरा न हो :)
ReplyDeleteआज के बच्चे दुकान से सामान ले रहे हो तो पलटकर पूछने आते है उन्तर कितना हुआ सेवॅंटी नाइन या फिर एटी नाइन ?
Deleteबच्चों के मन की सी..... हिंदी से उन्हें जोड़ने का प्रयास हमें भी करना होगा ....
ReplyDeleteआपको नव संवत 2070 की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
ReplyDeleteआज 11/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं. आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
हिंदी का डर बच्चों के दिमाग से निकालना होगा .हिंदी जैसे लिखी जाती है वैसे पढ़ी जाती है
ReplyDeleteLATEST POSTसपना और तुम
आजकल के बच्चों के मन की बात.....
ReplyDeleteनव संवत्सर मंगलमय हो....
हिंदी से सुंदर और सरल भाषा कोई और नहीं है..
ReplyDeletehttp://prathamprayaas.blogspot.com